Menu
blogid : 5215 postid : 258

इस दोस्ती और प्यार को क्या नाम दूं

सरोकार
सरोकार
  • 185 Posts
  • 575 Comments

जीवन के सुख-दुःख, उतार-चढ़ाव, अच्छे-बुरे हर पले में साथ निभाती, ईश्वर की असीम कृपा से फलती-फूलती और जाति, धर्म, ऊंच-नीच, छुआछूत, भेदभाव से पूर्णतः मुक्त यह ऐसा बंधन है जो एक बार जुड़ जानं के पश्चात् हमारे शरीर से आत्मा के त्याग देने के उपरांत भी हम से जुड़ा रहता है। जिसको हम दोस्ती ने नाम से सुशोभित करते हैं। दोस्ती के खातिर ही हम सब कुछ उस पर निछावर करने को हमेशा तत्पर्य रहते हैं ताकि हमारे दोस्त हमेशा खुश रहें, उन पर किसी प्रकार की विपदा न आने पाए। इसकी मिशाल हम कृष्ण-सुदामा, दुर्योधन-कर्ण आदि के रूप में दे सकते हैं। परंतु इस ग्लोबल विजेल की दुनिया में दोस्ती के मायने बदल से गए हैं। अब दोस्ती सिर्फ-और-सिर्फ मतलब की पृष्ठभूमि पर गठित होती है। जिसको समझौते का गठबंधन कह सकते हैं दोस्ती नहीं। काम पूर्ण होते ही यह समझौता भी खंड-खंड में विभाजित हो जाता है। यदि काम पूर्ण होने के पश्चात् कहीं कुछ बच जाए तो समझ लीजिए अभी और काम का समापन होना बाकी है। जिसको कुछ नहीं, हम सभी दोस्ती की संज्ञा देते हुए नहीं थकते हैं। मेरी इस बात से मुझे लगता है कि लगभग सभी लोग सहमत होगें क्योंकि दोस्ती सिर्फ दोस्ती नहीं, लेन-देन का जरिया मात्र बन चुकी है लेन-देन जारी तो दोस्ती, लेन-देन खत्म तो दोस्ती भी खत्म।
इसी क्रम में प्यार को भी शामिल कर लिया जाए तो ठीक रहेगा कि प्यार में भी वो बात नहीं रही, जिसकी मिशाले हम दिया करते थे। राधे-कृष्ण, लैला-मंजनू, हीर-राझा। दोस्ती से शुरू हुआ यह प्यार एक प्रकार का विपरीत लिंग के प्रति झुकाव मात्र है जिसकी पृष्ठभूमि हमारी गली-मोहल्लें से गुजरती हुई कॉलेज, विश्वविद्यालयों, पव, डिस्कों आदि में हर रोज देखी जा सकती है। कि किस प्रकार लड़के-लड़कियां एक-दूसरे से पहले दोस्ती फिर धीरे-धीरे प्यार के जाल में फंसने लगते हैं। इस प्यार के नाम पर न जाने क्या-क्या होता है और हो रहा है। थोड़ी हकीकत से रूबरू करवाऊं तो दिमाग सकते में चला जाएगा। चाहे वह लड़की हो या लड़का। वैसे मेरा मकसद किसी की पिछली जिंदगी के व्यतीत पल को उजागर करके ठेस पहुंचना कदापि नहीं है। फिर भी किसी को ठेस पहुंचे तो तहे दिल से मांफी मांगने का हकदार जरूर हूं। हां तो मैंने कहा कि इस प्यार के नाम पर न जाने क्या-क्या हो रहा है, यह एक हकीकत है। मैं जिस विश्वविद्यालय में पढ़ता था वहां बहुत-सारे प्यार के जोड़े भी थे। जिसको संख्या में व्यक्त कर पाना असंभव है। हालांकि प्यार था उनके बीच और इस प्यार के नाम पर सब कुछ हो रहा था जो होना चाहिए वो और जो शादी के बाद होना चाहिए वह भी। क्योंकि प्यार हैं। पंरतु मुझे इस प्यार की वास्तविक गहराई का पता आज तक नहीं लग सका, शायद मैं इस गइराई में उतरने से डरता रहा, तभी तो धरातल पर ही बैठा रहा। और देखता रहा क्या-क्या हो रहा है। कभी एक तो कभी दूसरा, कभी-कभी तो तीसरा और चैथा। साल, महीने और हफ्तों में यह प्यार के जोड़ बदलते गए। प्रेमी-प्रेमिकाएं बदलती गई। मैं बहुत सारे लड़के-लड़कियों को जानता हूं जिनके एक के साथ नहीं दो और दो से अधिक लोगों के साथ संबंध रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में लड़कियों का यह सिलसिला शादी के बाद बहुत हद तक कम हो जाता है वहीं लड़कों का शादी के बाद भी निरंतर जारी रहता है। हां कुछ गति के वेग में गिरावट जरूर आती है पर पूर्णतः नहीं।
इसके लिए हम पश्चिमी सभ्यता को दोषी नहीं ठहरा सकते। इसके लिए यह युवा पीढ़ी ही जिम्मेवार है जो प्यार के नाम पर अपनी शारीरिक जरूरतों की पूर्ति कर रहा है और उसे प्यार का नाम दे रहा है। यह बात सोलह आने सच है कि प्यार और जवानी छुपाए नहीं छुपते। मेरे हिसाब से तो जवानी छुपे या न छुपे, प्यार जरूर छिपा रहना चाहिए, ताकि इनके पिछले पवित्र रिश्तों के बारे में मौजूदा पति-पत्नी को पता न चले। नही ंतो कुछ हो न हो विघटन होना स्वाभिक है। इसके भी बहुत हद तक लड़कियां अपने पति की पिछली जिंदगी को भूला देती हैं परंतु पति कभी नहीं। विघटन तो होना ही है। जिंदगी के बीच मझधार में नांव फंस जाती है जिसको डूबना ही है पार लगने की संभवना नहीं रह जाती है। क्योंकि यह भंबर पिछले प्यार की देन है।
हालांकि इस विघटन के भंबर से बचा जा सकता है कि अपनी पिछली जिंदगी के बारे में पति या पत्नी से सब कुछ बात दें। लड़कियां नहीं, क्योंकि ऐसा करने से उनके चरित्र और परिवार की साख दाव पर लग जाएगी। वहीं पति रावण ही क्यों न हो उसे सीता ही चाहिए। वैसे दुध का धुला कोई नहीं है हमाम में सब नंगे हैं। चाहे मैं हूं या आप। फिर भी पवित्र प्यार के नाम पर जो कुछ हो रहा है उसको रोकना होगा। नहीं तो प्यार धंधे का रूप अपना लेगा और यह मात्र जिस्मों की भूख मिटाने का एक जरिया बनकर रह जाएगा।
डॉ. गजेन्‍द्र प्रताप सिंह
09889994337

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh