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क्या सजा होनी चाहिए ऐसे शिक्षकों की….???????

सरोकार
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ये वाक्या कल घटित हुआ औ कल ही इसको पोस्ट न करने का मलाल है। वैसे इसको पोस्ट न करने का कारण सभी जानते हैं कि कल समूचे भारते के 22 राज्यों में बिजली गुली थी जिस कारण से में इसको लिखने के बाद पोस्ट नहीं कर सका। अभी कुछ ही समय पहले बिजली की चमक से पता चला कि एक लंबे अंतराल के उपरांत इसका आगमन हो चुका है तो इसको पोस्ट कर रहा हूं।
वैसे यह कोई घटना नहीं है जो किसी प्राकृतिक आपदा के चलते घटित हुई है। यह खबर तो वाकैई में हम सभी को सोचने पर मजबूर कर देगी कि हम अपने बच्चों को शिक्षा दे या नहीं। क्योंकि एक बार फिर से एक शिक्षक ने गुरू और शिष्य के पवित्र रिश्ते को शर्मसार कर दिया। पूरे मामले को विस्तार से कहूं तो जिला ललितपुर जो झांसी से 90 किमी. दूर स्थित है वहां एक कोचिंग संचालक जो छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी पढ़ाना व बोलना सिखाते हैं को अपनी शिष्या के साथ अश्लील हरकतें करने हुए पकड़ा गया। चंूकि खबर एक शिक्षक से ताल्लुक रखती थी तो समूचे जिला में यह खबर सनसनी के रूप में फैलने लगी। मामला कोतवाली में जा पहुंचा और सभी स्थानीय पत्रकारों को इसकी भनक लगने लगी। तो सोचा कि चलो दोषी शिक्षक को उसके कुकर्म का फल अवश्य मिलेगा। परंतु न जाने ऐसा क्या हुआ कि चंद घंटों के घटनाक्रम के बाद मामला शांत पड़ता दिखाई देने लगा, और देखते ही देखते मामला बरसात की ठंडक के कारण ठंड़ा पड़ गया।
मैंने जानने की बहुत कोशिश की कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो मामला ठंडे़ बस्ते में चला गया। फिर उस शिक्षक से संपर्क साधा तो उसके रिश्तेदार से बात हुई और उसने मिलने के लिए बुलाया। चंूकि मैं किसी पत्रकारीय संस्था जुड़ा न होने के कारण, वहां जाकर पूछना मेरे अधिकार में नहीं आता है तब मैंने अपने एक पत्रकार मित्र से वहां जाने और संपूर्ण मामले का पता लगाने के लिए कहा। पत्रकार मित्र लौटे तो पता चला कि स्थानीय पत्रकारों को चंद रूपये की चढ़ौती चढ़ा दी गई है आप अपना बताओं कि मैं आपकी किस तरह से सेवा कर सकता हूं। जिसकी रिकॉडिंग मेरे पास है। मामले को समझते देर नहीं लगी कि पुलिस और पत्रकारों की पूजा-अर्चना से, जिले में उठे शिक्षक प्रकरण को पानी से बुझा दिया गया।
आज सुबह-सुबह मैंने कुछ समाचार पत्रों को बारीकी के साथ पढ़ा कि मुझे इस प्रकरण से संबंधित कहीं कोई खबर मिल जाने, परंतु नहीं मिली। फिर मैंने अमर उजाला के हेड ऑफिस फोन करके बात की तो उन्होंने कहा कि झांसी बात करें वो ही आपको बता सकते हैं। फिर मैंने झांसी के संपादक से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और आपको मुझे बताने की अपेक्षा स्थानीय पत्रकार को बताना चाहिए था। वैसे आप लोग समझते है कि पत्रकार सर्वज्ञानी होता है उसे हर खबर के बारे में पता होता है परंतु ऐसा नहीं है। मैंने कहा एक ऐसा प्रकरण जिसकी जानकारी सभी को है और आपके स्थानीय पत्रकार को कैसे नहीं हो सकती। वैसे वहां से भी मुझे मेरे प्रश्नों का उचित जबाव नहीं मिला। हाल लगभग सारे समाचारों व चैनलों का ऐसा ही था।
मामला ठंडे़ बस्ते में जा चुका है। मैं आप सब से अपील करना चाहता हूं कि जिले के समस्त स्थानीय पत्रकारों व पुलिस प्रशासन तथा ऐसे शिक्षकोक के खिलाफ आवाज उठाने में मेरे मदद करें जो शिक्षक गुरू और शिष्य के पवित्र रिश्ते को दागदार कर रहे हैं साथ ही पुलिस प्रशासन व पत्रकार जो न्याय और सच को जनता के सामने लाते हैं वो ही कुछ माया की चढ़ौती के चढ़ते ही पूरे प्रकरण को दबा देते हैं। और मौका देते है उन लोगों को जो समझते हैं कि पैसे से हर जुर्म को दबाया जा सकता है।
अब आप ही तय करें कि ऐसे शिक्षक को क्या सजा मिलनी चाहिए? साथ ही ऐसे पुलिस और पत्रकारों को क्या करना चाहिए! आवाज उठाकर ऐसे अपराधियों का विरोध करें ताकि हमारे बच्चे सुरक्षित रह सके और गुरू-शिष्य का रिश्ता अपवित्र न हो सके।

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