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ये पब्लिक है सब जानती है

सरोकार
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वैसे तो सभी के सामने यूपी के नतीजे आ चुके हैं और यह पूर्णतय: तय हो चुका है कि मुलायम सिंह यादव यूपी के नये मुख्यीमंत्री होंगे। हालांकि पिछली सपा सरकार द्वारा या यूं कहे कि सपा कार्यकर्ताओं ने जो आंतक का कहर बरपाया था उसका परिणाम उसे 2007 में मिली हार से चुकाना पड़ा, और जनता ने यूपी की बागडोर मायावती के हाथों में सौंप दी। क्योंकि जनता आंतक मुक्‍त और विकास चाहती थी। पर हुआ ठीक इसके विपरीत। प्रदेश में खौंफ, लूट, हत्या, बलात्का्र, अपहरण आदि के आंकड़े मीडिया की शोभा बढ़ाते रहे। और विकास लाल पत्थरों की मूर्तियों में सिमट कर रह गया।
इस आलोच्य में बात करें तो पत्थरों की मूर्तियों से और बड़े-बड़े पार्क बनवाने से प्रदेश का विकास नहीं होता। एक तरफ प्रदेश की बड़ी आबादी भूखमरी का दंश झेल रही है, नन्हें जिस्म पर तन ढकने के लिए कपड़ा नहीं, भूख मिटाने के लिए कचरे में तलाशती अपनी जिंदगी, इसी भूख की खातिर जिस्म का सौदा करती औरतें, और कर्ज की मार झेलते हुए आत्मगहत्या करते हुए किसान। बेराजगारों की दिन-प्रतिदिन खड़ी होती जमात, नौकरी के लिए मांगी जाने वाली लाखों रूपये की रकम। क्या यही विकास है। नहीं, यह विकास नहीं है, प्रदेश में मंत्रियों द्वारा विकास के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया, जो समय के साथ-साथ धीरे-धीरे खुलेंगे जरूर। जिस पर सालों मुकदमा चलेगा, और किसी को सजा नहीं होगी।
इसी सब से तिरस्त होकर एक बार फिर पांच सालों के लिए प्रदेश की जनता ने अपनी कमान सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह के हाथों में सौंप दी है। क्योंकि प्रदेश की जनता अखिलेश यादव जैसे युवा नेता के रूप प्रदेश का विकास तलाश कर रही है। हां यह बात और है कि सपा सरकार कितना अपने वायदों को पूरा करते हुए प्रदेश का विकास करती है या फिर एक बार फिर यूपी की जनता अपने आप को लुटा-पिटा, छला हुआ महसूस करेगी। और पांच साल बाद का इंतजार करेगी। यह तो गर्भ के इतिहास में कैद है। हां यहां एक बात और कहना चाहूंगा कि सत्ता में दुबारा इसी बहुमत के साथ आना है तो प्रदेश को भयमुक्त और विकास प्रदेश तो बनाना ही पड़ेगा, नहीं तो ये पब्लिक है सब जानती है। आगे क्या करना है।

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