Menu
blogid : 5215 postid : 150

क्योंकि मैं ही प्रथम और मैं ही अंतिम हूं

सरोकार
सरोकार
  • 185 Posts
  • 575 Comments

क्योंकि मैं ही प्रथम और मैं ही अंतिम हूं
मैं ही सम्मानित और मैं ही तिरस्कृत हूं
मैं ही भोग्या और मैं ही देवी हूं
मैं ही भार्या और मैं ही कुमारी हूं
मैं ही जननी और मैं ही सुता हूं
मैं ही अपनी माता की भुजाएं हूं
मैं बांझ हूं किंतु अनेक संतानों की जननी हूं
मैं विवाहिता स्त्री हूं और कुंवारी भी हूं
मैं जनित्री हूं और जिसने कभी नहीं जना वो भी मैं हूं
मैं प्रसव पीड़ा की सांत्वना हूं
मैं भार्या और भर्तार भी हूं
और मेरे ही पुरूष ने मेरी उत्पत्ति की है
मैं अपने ही जनक की जननी हूं
मैं अपने भर्तार की भगिनी हूं
और वह मेरा अस्वीकृत पुत्र है
सदैव मेरा सम्मान करो
क्योंकि मैं ही लज्जाकारी और मैं ही देदीप्य मान हूं
तीसरी या चौथी सदी ई. पू. नाग हम्मापदी से प्राप्त -पाओलो कोएलो

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh