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भटक चुकी मीडिया : मिशन से कम्पीटीशन तक

सरोकार
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मीडिया ने बाबा को हीरों बना दिया, चारों तरफ बाबाओं की गूंज सुनाई दे रही है. रामदेव-रामदेव. बाबा न हो गया कोई अभिनेता हो गया, या देश पर मर मिटने वाला सिपाही. सपाही ही होता तो मान लेते कि हमारी रक्षा का उत्तरदायित्वो इनके कंधों पर है, और हम चैन की नींद सो सकते हैं. पर ये तो बाबा हैं. मीडिया ने हीरों बना ही दिया. आखिर मीडिया करती भी क्याप. खुद में तो कुछ करने का सामर्थ नहीं बचा, चलो किसी के पिछलग्गू ही सही, खुद को जनता के सुख-दुख में शामिल करने का दिखावा तो किया.
मीडिया का आगमन होते ही इसने जनता के दिलों में अपनी एक नई पहचान बना ली थी, कि हम जनता के हितैसी है, और समाज के सामने उन लोगों के बेनकाव करेंगे जो अपराध, हिंसा और भ्रष्टाचार को बढावा देते हैं. और किया भी. परन्तु मीडिया अब अपने मिशन से भटक चुका है, मीडिया मिशन से प्रोफेशन में और प्रोफेशन से कमीशन में अपने आप को तबदील कर चुका है. उसका मिशन अब कमीशन बन चुका है. धीरे-धीरे इस कमीशन में भी बदलाव देखा जा रहा है अब कमीशन से कम्पीटीशन का रूप धारण कर लिया है. मीडिया में इसकी होड मच चुकी है और कम्पीटीशन चल रहा है कि कौन कितना कमीशन लेकर जनता को उल्लू बना सकता है. जनता भी इनके बहकावे में आ ही जाती है. क्योंकि मीडिया ऐसा माध्यम है जो समाज के मनमस्तिष्क पर सीधा प्रभाव छोडता है.
अगर वर्तमान में चल रहे बाबा के मुद्दे की बात करें तो हम सुनते आए है कि बाबा मोह माया से परे होते हैं, वो तो केवल ईश्वमर में आस्था रखते हुए अपना पूरा जीवन उनको समर्पित कर चुके होते हैं. पर देखने में ठीक उल्टा ही आ रहा है. ये बाबा आलीशन घरों में, मंहगी गाडियों में और मौज मस्ती करते देखे जा सकते हैं. कहने को अपने को बाबा कहते है. यदि बाबा रामदेव की बात करें, या फिर बाबाओं की जमात की. ये मात्र धर्म ने नाम पर जनता को दीमक की तरह चूस रहे है. और जनता को अपने पीछे धर्म के नाम पर जोड लेते हैं. ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार जिहाद के नाम पर लोग जुड जाते है और इनके मुखिया के आदेशानूसार अपराध को बढावा देते रहते हैं. अगर बाबाओं की सम्पत्ति की बात की जाए तो इनकी सम्पत्ति करोडों रूपये है. जिसका ब्योरा सरकार के पास नहीं है. ये बाबा भ्रष्टाचार से कमाये कालेधन की बात करते हुए उसकी वापसी के लिए अनशन पर बैठते जरूर है परन्तु यह भूल जाते है कि उनके खाते में जो करोडों रूपये जमा है उसमें से कितना पैसा भ्रष्टाचार की काली कमाई का है.जो कहीं-न-कहीं जनता की मेहनत का पैसा है.जिसको उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों ने हडपकर अपने खाते में जमा कर लिया है. और उसमें से कुछ रूपया इन बाबाओं को धर्म के नाम पर दे दिया जाता है. आखिर पैसा है आता हुआ रूपया किसको बुरा लगता है चाहे वो मेहनत का हो या फिर लूट का. आज पैसे ने भगवान का रूप धारण कर लिया है तभी तो आम आदमी की बात क्याह करें, ये बाबा लोग भी पैसे के पीछे पडे रहते हैं. पैसा ही भगवान है. इस तरह से पैसा कमाने में मीडिया भी इन बाबाओं की मदद करती है. बाबाओं को इतना हाईलाईट करके दिखाया जाता है कि आम जनता इनको ही सब कुछ मान लेती है. क्योंकि मीडिया चाहे तो किसको राजा तो किसी को राजा से रंक बना सकती है. आज मीडिया भी इन बाबाओं को बाबाओं से भगवान बनाने पर आमदा है, इसका मुख्य कारण है कि बाबाओं से मोटे तौर पर कमीशन मिलता रहता है. इसलिए जिससे भी इनको फायदा होना दिखाई देता है उसके पीछे दुम हिलाते हुए देखे जाते है.
यदि मीडिया इसी तरह अपने मिशन से भटककर बाबाओं को हीरों बनाने में लगा रहा तो आम जनता का क्या होगा. जिसको मीडिया ने पहले ही भुला दिया है और जनता अब भी इनका आसरा तांके हुए है. कल एक समाचार चैनल पर एक विद्वान ने ठीक ही कहा था कि, मीडिया ने ही बाबा रामदेव को हीरों बना दिया है. अगर सभी समाचार चैनल खबरों को बार-बार प्रकाशित नहीं करते तो बाबा का अनशन बहुत पहले ही खत्म हो चुका होता. परन्तु सभी चैनलों ने बढचढ कर बाबा को दिखाया. क्योंकि मीडिया का मिशन अब कम्पीटीशन बना गया है

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