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मृत्यु एक अटल सत्य

सरोकार
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ऐसे तो जिंदगी को देखे तो हमको दिखाई पड ही जाएगी, कि में कुछ भी नहीं हूं इसमें दिखाई पडने में कौन-सी कठिनाई है मृत्यु रोज इसकी खबर लाती है कि हम कुछ भी नहीं हैं, लेकिन हम मृत्यु को कभी गौर से नहीं देखते, कि वह क्या खबर लाती है. मृत्यु को हमने छिपाकर रख दिया है. जिससे कोई देख न पाए. तभी तो मरघट गांव के बाहर बना देते है, ताकि दिखाई न पडे. किसी दिन इंसान समझदार होगा, तो मरघट गांव के बाहर नहीं, शहर के चौराहे पर बना होगा. और सभी रोज दिन में दस दफा आते-जाते मौत का ख्याल आए कि मौत है, अभी किसी की लाश निकलेगी, मुर्दा निकलेगा. अधिकांश ये देखा गया है कि जब कोई लाश निकलती है तो हम अपने बच्चों को घर के भीतर बुला लेते हैं, कि मुर्दा निकल रहा है, अंदर आ जाओ. बहुत से लोग इसलिए भी बच्चों को घर के अंदर बुला लेते हैं कि कहीं बच्चा डर न जाए. बच्चा तभी डरता है जब हम उसको डराते हैं, नहीं तो नहीं डरता.
एक दिन ऐसा भी आएगा कि समय के परिवर्तन के साथ हममें समझ विकसित होगी, तब हम बच्चों को अंदर आने के वजह बाहर इक्ठंठा कर लेगें, और कहेंगे कि, देखो यह आदमी मर गया. ठीक इसी की भांति एक दिन हम सबको इस संसार का त्याग करना ही है. यही एक हकीकत है इसके अलावा दुनिया में सब निरंकार है. मृत्यु‍ ही दुनिया का एक मात्र सत्य है इसके परे और दुनिया में कुछ भी नहीं बचता. आज का इंसान समझदार होते हुए भी नसमझ बना हुआ है. सब जानता है कि मौत एक दिन किसी न किसी रूप में आएगी जरूर. और उसको सब कुछ यही इसी नाशवान संसार में छोडकर जाना ही होगा. बावजूद इसके वह जीवन के मोहपाश में इस कदर फंस जाता है कि मोह-माया से निकलना ही नहीं चाहता. जैसे उसे कभी संसार छोडकर जाना ही न हो
कहते हैं कि जीवन और मरण सब प्रभू के हाथ में है, कब किसको भेज दे, कब किस को बुला लें. ये सब उसी की लीला का रूप है. वैसे एक जन्म लेने वाले बच्चों को कोई नहीं रोक सकता, वो जन्म लेता ही है. ठीक उसी प्रकार जाने वाले को कोई नहीं रोक सकता. जाना ही पडता है. हालांकि जन्म होते सभी देख सकते है परन्तु मौत केवल और केवल वो ही इंसान देख पाता है जिसकी मृत्यु हो रही है.यहां एक फिल्म की कुछ पंक्तियां याद आ रही है-
मौत से कब किसकी रिश्तेदारी है
आज मेरी, कल तेरी बारी है
प्रत्येक मौत इंसान को एक सीख देती है कि मैं ही सत्य हूं और मैं ही अमर. इसके परे कुछ भी निरर्थक है. जैसे गीता में श्रीकृष्ण ने कहा था कि क्या लेकर आए हो और क्या लेकर जाना है. जो कुछ है इसी संसार में है और इस संसार से परे कुछ नहीं.

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