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अपराध क्या है और क्यों घटित होता है या क्यों किया जाता है ये सभी जानते हैं. एक तो अपराध जानबूझकर किया जाए और एक भावेश में. दोनों कानून की श्रेणी में अपराध कहें जाते है. मेरा यहां अपराध को बताने का तात्पर्य नहीं है. मैं तो सिर्फ उन व्याक्तियों के बारे में बात करना चाहता हूं जिनकी आयु १५ से ३० साल की होती है, और किन्हीं विपरीत परिस्थितियों में उनके हाथों से अपराध हो जाता है. इसके उपरांत चलाया जाता है न्यायालय में मुकदमा.
इन कम आयु के अपराधियों या अभियुक्तों के साथ होता कुछ इस तरह है कि न्यायालय में मुकदमा चलता ही रहता है और उसका कोई निष्कर्ष ही नहीं निकल पाता कि अपराध किसने किया है. यदि अपराध व्याक्ति के हाथों से हुआ है. तो न्याययालय में केस चलने के बाद सजा मिल जाती है. इन आयु के अपराधियों के द्वारा सजा काटने के बाद लगभग कहीं नौकरी के आसार नहीं होते, सरकारी नौकरी की बात को अपने मन से दूर दूर तक निकाल दीजिए. एक बार आपके माथे पर अपराधी का ठप्पा लग जाए, आप सरकारी नौकरी चाह कर भी नहीं कर सकते् या मिलती ही नहीं.
क्या सरकार नहीं चाहती कि एक व्यक्ति जिसके द्वारा अपराध चाहे जानबूझकर हुआ है या अनजाने में. वह सरकारी नौकरी का हकदार हो.
एक तरफ सरकार अभियुक्तों को पूरी शिक्षा पाने का अधिकार प्रदान करती है और उसे जेल ही रहकर शिक्षा मुहैया करायी जाती है. तथा न्यायालय के आदेशानुसार परीक्षा देने की अनुमति भी मिल जाती है. यानि मेरे कहने का मतलब है कि सरकार अपराधियों को शिक्षा प्राप्त करने पर जोर देती तो है कि वह शिक्षित हो सकें. परन्तु पूर्ण योग्यिता और क्षमता के बाद भी नहीं मिलती सरकारी नौकरी. यदि अपराधी सरकारी नौकरी नहीं कर सकता तो उसे आगे पढने का अधिकार क्यों दिया जाता है. जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद भी उसे कहीं नौकरी नहीं मिलती तब फिर अपराध करने लगता है.
ऐसा हो सकता है कि एक अपराधी या अभियुक्त देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर देश चला सकता है उस पर किसी प्रकार की बंदिशे नहीं रहती और उसे सरकार द्वारा संरक्षण भी दिया जाता है. पर वह सरकारी नौकरी नहीं कर सकता. ऐसे बहुत से उदाहरण मौजूद हैं जो अपराधी थे या उन पर कोर्ट में केस चल रहे हैं इसके बावजूद वह किसी न किसी मंत्री पद आसीन है और उस पद की शोभा बढा रहे है. एक अपराधी नेता बन सकता है. या नेता अपराध कर सकते हैं, पर अपराधी सरकारी नौकरी नहीं कर सकता. ये कहा का न्याय है. कोई व्यक्ति सजा काटने के बाद अपनी जिन्दगी सकून से नही जी पता, पुलिस द्वारा उसे समय समय पर परेशान भी किया जाता है,
भारतीय संविधान में संशोधन होना चाहिए, जिस व्यक्ति से अपराध हो जाए उसे एक अवसर अवश्य मिलना चाहिए सरकारी नौकरी में आवेदन करने का, और वह अपने द्वारा किए गए गुनाहों की सजा काटने के बाद सभ्य जीवन जीने की ओर अग्रसर हो सकें.
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