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राहुल तुसी ग्रेट हो, जिस प्रकार भटटापुर गांव में जाकर लोगों के दुख दर्द को सुना और महसूस किया, ये तो बस कोई और नहीं राहुल ही कर सकते थे,
सभी पार्टियों के नेताओें द्वारा केवल मीडिया में अपनी शक्ल दिखाने के लिए वहां पहुंच और चले आये दुम दबाकर, किसी की भी हिमाकत नहीं हुए गांव के अंदर कदम रखने की, चाहे वो सपा हो, बीजेपी हो या अन्य पार्टियों के नेता. सभी राजनैतिक रोटियां सेकने की कोशिश में लगे हुए है. एक पार्टी के नेता ने राहुल के विपक्ष में कहा की इनको गाय और भैंस में अंतर नहीं पता. एक बात तो साबित होती है जब कोई काम आप से नहीं होता तो दो काम किया जाता है पहला जो कर ले उसको कोसना, दूसरा अंगूर खटटे हैं.
फिलहार यूपी सरकार को शर्म आनी चाहिए, जिस तरह का जुल्म किसानों पर बरपाया गया है और उनकी कोई सुध लेने नहीं पहुंचा है. क्या यही कर्तव्य है एक राज्य की मुख्यमंत्री का. सोचने वाली बात है. वहीं अपनी जान जोखिम में डालकर सुबह ४ बजे वो भी मोटर साईकिल पर लोगों का दुख दर्द बाटंने पहुंच गए कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी. इनको देखकर वास्ताव में स्वा. राजीव गांधी की याद आ जाती है जो जनता के दर्द को अपना दर्द समझते थे. यही आलम राहुल का भी है.
यूपी में पिछले कुछ दशकों से सभी पार्टिया ने अपनी हुकूमत चलाई, किसी ने कम किसी ने अति की. परन्तुन पिसती रही गरीब जनता. आज राहुल १८ घंटे से बैठे हुए है. कि मायावती स्व यं आकर किसानों पर बरपे जुर्म की दास्ता न को देख सुन, महसूस करें. और किसानों को न्या य और मुआवजा दे, तथा लापता लोगों को शीघ्रति शीघ्र घर वापस लाने के लिए प्रशासन को आदेश दें.
यदि यूपी सरकार ऐसा नहीं करती है तो हम सभी से आग्रह करते है कि राहुल गांधी की इस मांग में हम सब उनका साथ दे. ताकि किसानों को न्यासय मिल सकें.
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